युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल के माथे से आठ साल बाद हटाया गया देशद्रोह का कलंक; मां और पत्नी ने काटी अघोषित
रुड़की/देहरादून। 27 वर्षीय युवा वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल के माथे से देशद्रोह का कलंक आठ साल बाद मिट गया। निशांत पर आरोप था कि उन्होंने ब्रह्मोस मिसाइल की संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को दी, जबकि वास्तविकता यह थी कि वह उस समय अपने साथियों के साथ नागपुर स्थित ब्रह्मोस एयरस्पेस में मिसाइल निर्माण और परीक्षण में व्यस्त थे। उन्होंने हाल ही में डीआरडीओ से यंग साइंटिस्ट का अवार्ड भी प्राप्त किया था।
नवंबर 2018 में, अपने जीवन के उजले क्षण—साढ़े पांच माह पहले हुई शादी—के ठीक बाद निशांत पर यूपी और महाराष्ट्र एटीएस ने देशद्रोह और मिसाइल तकनीक लीक करने के आरोप में गिरफ्तारी कर लिया। इस घटना ने परिवार पर गहरा असर डाला। पत्नी और मां ने पति के देशद्रोह के आरोप के कारण आठ साल तक अघोषित जेल की भांति कठिन समय बिताया। घर में खुशियों की जगह चिंता, भय और सामाजिक कलंक ने घर की दीवारों को घेरे रखा।
एक दिसंबर 2025 को बांबे हाईकोर्ट ने निशांत अग्रवाल को बरी कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोप निराधार थे और वैज्ञानिक अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से पालन कर रहे थे। कोर्ट के निर्णय के साथ ही आठ साल की मानसिक यातना, परिवार के लिए अघोषित जेल और समाज की अविश्वास की स्थिति समाप्त हो गई।
इस फैसले के बाद निशांत अग्रवाल और उनके परिवार में खुशियों की लौ लौट आई। उन्होंने बताया कि यह क्षण उनके जीवन की सबसे बड़ी राहत और न्याय का प्रतीक है। डीआरडीओ और वैज्ञानिक समुदाय ने भी उन्हें बधाई दी और उनके संघर्ष को देश के अन्य युवा वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।

