आपदा प्रभावित धराली गांव के पुनर्वास के लिए नहीं मिल पा रही भूमि
उत्तरकाशी ।  उत्तरकाशी  ज़िले के आपदा प्रभावित धराली गांव के विस्थापित परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया भूमि न मिलने के कारण अब तक शुरू नहीं हो पाई है।
जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को पुनर्वास के लिए छह संभावित स्थलों की सूची सौंपी है, लेकिन इनमें से पांच स्थान आरक्षित वन क्षेत्र में आते हैं और एक क्षेत्र यूजेवीएनएल (UJVNL) की भूमि है।
पांच अगस्त को धराली में खीर गंगा में आए मलबे (लगभग 20-25 फीट ऊँचे) ने तबाही मचा दी थी।
कई लोग मलबे में जिंदा दफन हो गए, जबकि अनेक बहुमंजिला भवन और होटल जमींदोज हो गए।
घटना के ढाई माह बाद भी पुनर्वास कार्य ठप पड़ा है।
भूमि चयन में अड़चनें
जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन को जिन छह स्थानों की सूची दी है, उनमें —
- भैरो घाटी व लंका के बीच अखोड़ थातर (वन विभाग की भूमि)
- भैरोघाटी
- कोपांग
- जांगला
- डबरानी
- ओंगी (यूजेवीएनएल की भूमि)
 शामिल हैं।
इनमें से पांच स्थानों पर वन विभाग ने भूमि हस्तांतरण से असमर्थता जताई है, क्योंकि ये क्षेत्र आरक्षित वन और ईको सेंसिटिव जोन में आते हैं।
इन स्थलों पर किसी भी प्रकार का निर्माण करने के लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति आवश्यक होगी, जो एक लंबी प्रक्रिया है।
ओंगी क्षेत्र में यूजेवीएनएल की भूमि का लगभग 10 नाली हिस्सा सेना को पहले ही आवंटित किया जा चुका है, जबकि शेष 40 नाली भूमि पुनर्वास के लिए अपर्याप्त मानी जा रही है।
धराली ग्राम प्रधान अजय नेगी ने बताया कि इस विषय पर प्रशासन के साथ बैठक हुई है। ग्रामीणों ने वैकल्पिक स्थानों के रूप में उपरोक्त क्षेत्रों के नाम सुझाए हैं।
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने कहा कि ग्रामीणों के प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। इस संबंध में अधिकारियों के साथ बैठकें जारी हैं ताकि शीघ्र कोई ठोस निष्कर्ष निकाला जा सके।
उन्होंने यह भी बताया कि धराली और सातताल क्षेत्र के आसपास की भूमि पर पुनर्वास की संभावना पर भी विचार चल रहा है।


 
							