अवैध पार्किंग स्‍थलों का अदालत ने LMC और LDA से 25 मई तक मांगा ब्यौरा

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने सोमवार को लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) को निर्देश दिया कि वह अपनी नगरपालिका सीमा में दुकानदारों या मॉल मालिकों या किसी अन्य द्वारा चलाए जा रहे अवैध पार्किंग स्थलों का सर्वेक्षण करे। यह आदेश न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने राजीव अग्रवाल द्वारा दायर जनहित याचिका पर पारित किया। पीठ ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) को भी यह निर्देश दिया है कि वह हलफनामा दायर करे कि क्या बड़े व्यावसायिक भवन जैसे मल्टीप्लेक्स, सिनेमा हॉल, थिएटर, ऑडिटोरियम और शॉपिंग मॉल पार्किंग की सुविधा प्रदान कर रहे हैं और क्या वे ऐसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए आम जनता से शुल्क ले रहे हैं।

पीठ ने कहा, एलडीए यह भी बताएगा कि इन भवनों के निजी मालिक किस प्रावधान के तहत पार्किंग शुल्क लगा रहे हैं। पीठ ने एलएमसी और एलडीए दोनों को निर्देश दिया है कि वे 25 मई तक इसके लिए आवश्यक विवरण प्रस्तुत करें। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने शहर की राजधानी के विभूति खंड क्षेत्र में सार्वजनिक सड़क पर एक मॉल के पास अवैध पार्किंग के रूप में किए गए अतिक्रमण को हटाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की है कि शहर में पार्किंग लखनऊ मास्टर प्लान 2031 में निर्धारित स्थानों पर ही चलाई जाए।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार ने 25 अगस्त 2021 को सभी संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि शहरी क्षेत्रों में चल रही अवैध पार्किंगों के साथ-साथ सड़कों पर चलाई जा रही पार्किंगों को भी बंद किया जाए। राज्य सरकार के आदेश में यह भी प्रावधान किया गया है कि जिन पार्किंग क्षेत्रों में शेड, पानी की निकासी और शौचालय जैसी नागरिक सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, उन्हें भी रद्द कर दिया जाना चाहिए।

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