अब बीमा मॉडल पर चलेगी आयुष्मान योजना, कर्मचारियों व पेंशनरों का अंशदान बढ़ा
देहरादून। प्रदेश सरकार ने राज्य आयुष्मान और अटल आयुष्मान योजना के तहत मिलने वाले पांच लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज को अब बीमा मॉडल पर संचालित करने का निर्णय लिया है। इससे इलाज पर होने वाले खर्च का आर्थिक बोझ सरकार पर कम पड़ेगा। साथ ही राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत कर्मचारियों और पेंशनरों को गोल्डन कार्ड के जरिए मिलने वाली कैशलेस इलाज सुविधा के लिए पांच साल बाद अंशदान बढ़ा दिया गया है। आगे चलकर महंगाई भत्ते के आधार पर भी अंशदान में वृद्धि की जाएगी।
आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की शुरुआत 23 सितंबर 2018 को हुई थी। केंद्र सरकार की इस योजना में प्रदेश के 5.97 लाख परिवार शामिल थे। इसके बाद राज्य सरकार ने उत्तराखंड के 23 लाख से अधिक राशन कार्ड धारकों को शामिल करते हुए राज्य आयुष्मान योजना शुरू की, जिसके तहत पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी गई। इसी योजना के अंतर्गत कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए असीमित खर्च पर कैशलेस इलाज की सुविधा देने के लिए गोल्डन कार्ड योजना चलाई गई।
गोल्डन कार्ड योजना में कैशलेस इलाज के लिए सरकार की ओर से अलग से बजट नहीं दिया जाता है। कर्मचारियों और पेंशनरों के अंशदान से मिलने वाली राशि की तुलना में इलाज पर खर्च अधिक होने के कारण राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को वित्तीय दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। इसी वजह से सरकार ने गोल्डन कार्ड के अंशदान में बढ़ोतरी का फैसला लिया है।
नया अंशदान ढांचा:
-
पे लेवल 1 से 5: 250 रुपये से बढ़ाकर 425 रुपये
-
लेवल 6: 450 रुपये से बढ़ाकर 800 रुपये
-
लेवल 7 से 11: 650 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये
-
लेवल 12 और उससे ऊपर: 1000 रुपये से बढ़ाकर 1450 रुपये
प्रदेश में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, अटल आयुष्मान योजना और उत्तराखंड राज्य सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत अब तक 61 लाख से अधिक आयुष्मान और गोल्डन कार्ड बनाए जा चुके हैं। इनमें से 17 लाख से अधिक मरीजों ने अस्पताल में भर्ती होकर मुफ्त इलाज का लाभ लिया है। इस पर अब तक लगभग 3300 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। योजना के तहत 396 अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जिनमें 201 सरकारी और 195 निजी अस्पताल शामिल हैं। इसके अलावा प्रदेश से बाहर भी 31 हजार से अधिक अस्पताल आयुष्मान योजना में पंजीकृत हैं।

