बेमौसम चुनावी चकल्लस: उत्तराखंड में ठंड बढ़ी, राजनीतिक माहौल गरमा रहा

देहरादून:
उत्तराखंड में जैसे-जैसे मौसम ठंडा हो रहा है, वैसे-वैसे राजनीतिक माहौल गरम होता जा रहा है। राज्य में विधानसभा चुनाव तक अभी एक साल से अधिक का समय शेष है, लेकिन राजनीतिक गतिविधियां पहले से कहीं अधिक सक्रिय और तीव्र दिख रही हैं। राजनेताओं की भाषा शैली, निजी खुलासे और आंतरिक झगड़े राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को अस्थिर कर रहे हैं।

कांग्रेस में चुनाव प्रबंधन की बागडोर मिलने के बाद भाजपा के कुछ नेताओं ने कांग्रेस नेताओं की निष्ठा पर सवाल उठाए। इसके जवाब में कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने तीखे अंदाज में भाजपा नेताओं और अपने पुराने साथियों के खिलाफ निजी बातें उजागर कीं। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों, वरिष्ठ भाजपा नेताओं और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों के ऐसे खुलासे किए, जो राज्य की राजनीतिक स्थिति के अनुकूल नहीं माने जा रहे हैं।

भाजपा के कुछ नेताओं ने भी इसी शैली में जवाब देकर राजनीतिक माहौल को और गरम कर दिया है। लंबे समय तक भाजपा में रहे हरक सिंह रावत के पुराने साथियों के खिलाफ कही बातें जनता और पार्टी दोनों को अस्वीकृत लगी हैं। वहीं, भाजपा में उनके जाने के बाद उनकी निष्ठा पर सवाल उठाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।

हरक सिंह रावत ने जैनी प्रकरण का उदाहरण देते हुए कहा कि यह भाजपा की साजिश थी। उन्होंने बताया कि जिस लड़की को वे व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते थे, उसे नौकरी और अन्य लालच देकर भाजपा नेताओं ने साजिश रची ताकि उनका राजनीतिक करियर बर्बाद किया जा सके। बावजूद इसके, उन्होंने भाजपा के साजिश रचने वालों को कोश्यारी के कहने पर माफ कर दिया।

उन्होंने यह भी कहा कि हरीश रावत उनके बड़े भाई हैं और उनके बीच 36 का आंकड़ा नहीं है, बल्कि अब यह 63 हो गया है। वर्तमान में वे रावत स्क्वायर हैं। उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत और महेंद्र भट्ट के अपने खिलाफ बयान का जवाब भी देने का उल्लेख किया।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि उत्तराखंड में नेताओं की निजी बयानबाजी और तीखी राजनीतिक भाषा आगामी चुनावों की गहमागहमी को पहले से ही बढ़ा रही है। ऐसी गतिविधियां चुनावी रणनीतियों और दलगत समीकरणों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती हैं।

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