रजत जयंती पर पारंपरिक रंग में निखरी विधानसभा
देहरादून। उत्तराखंड की रजत जयंती के अवसर पर सोमवार को आयोजित विधानसभा का विशेष सत्र परंपरा, संस्कृति और गौरव का अनूठा संगम बन गया। राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूरे होने पर सदन का यह सत्र इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया। पूरा सदन पहाड़ी परिधानों, पारंपरिक आभूषणों और लोकसंस्कृति की झलकियों से सजा हुआ दिखाई दिया।
विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूडी भूषण, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, तथा अन्य मंत्री और विधायक पहाड़ी टोपी, पिछौड़ा और पारंपरिक नथ धारण किए नजर आए। सदन में प्रवेश करने वाले प्रत्येक जनप्रतिनिधि के परिधान में अपने क्षेत्रीय लोकसंस्कारों की झलक दिखाई दी। महिला जनप्रतिनिधियों ने गहनों और रंग-बिरंगे पिछौड़ों से वातावरण को और भी सजीव बना दिया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधानसभा को संबोधित किया। उत्तराखंड विधानसभा के इतिहास में यह दूसरा अवसर था जब किसी राष्ट्रपति ने सदन को संबोधित किया। इससे पहले वर्ष 2015 में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विशेष सत्र को संबोधित किया था। राष्ट्रपति के आगमन ने समारोह की गरिमा को नई ऊँचाइयाँ दीं। मुख्यमंत्री धामी ने राष्ट्रपति को उत्तराखंड की समृद्ध लोककला ‘रम्माण’ पर आधारित स्मृति चिह्न भेंट किया, जिससे राज्य की सांस्कृतिक पहचान को विशेष महत्व मिला।
दो दिवसीय इस विशेष सत्र में प्रदेश सरकार ने 25 वर्षों की विकास यात्रा का उल्लेख किया और आगामी 25 वर्षों के विकास रोडमैप पर भी चर्चा प्रस्तावित की। सदन में प्रदर्शित पहाड़ी संस्कृति और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता ने यह संदेश दिया कि आधुनिकता के साथ अपनी परंपराओं को सहेजना ही उत्तराखंड की असली पहचान है।
विधानसभा का यह सत्र न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी यादगार बन गया। पहाड़ी टोपी, पिछौड़ा और नथ से सजी विधानसभा ने यह साबित किया कि उत्तराखंड की असली ताकत उसकी संस्कृति और लोक परंपराओं में निहित है।

