औद्योगिकीकरण की धीमी गति पर नाराज हुए सचिव

काशीपुर। शासन की ओर से कार्यक्रम क्रियान्वयन सचिव दीपक कुमार ने काशीपुर पहुंच कर औद्योगिक पार्कों का निरीक्षण किया। इस दौरान उद्योग लगाने के लिए जमीन आवंटित कराने वाले कई उद्योगपतियों की ओर से धरातल पर कोई भी काम होना नहीं पाया गया। इस पर उन्होंने नाराजगी जताई और सिडकुल व उद्योग विभाग के अधिकारियों को सरकार की ओर से निर्धारित केलेंडर के मुताबिक कार्य कराने के निर्देश दिए।

सचिव दीपक कुमार इन दिनों कुमाऊं क्षेत्र में सरकार की योजनाओं के धरातल पर उतारने की प्रगति की समीक्षा कर रहे हैं। नैनीताल के बाद रविवार को वह काशीपुर पहुंचे। स्थानीय प्रशासन सिडकुल और उद्योग आदि विभागों के अधिकारियों के साथ उन्होंने अरोमा पार्क, हिमालय फूड पार्क तथा अन्य औद्योगिक पार्कों का भी निरीक्षण किया। इस दौरान पाया गया कि कई निवेशकों ने उद्योग लगाने के लिए भूखंड तो आवंटित करा लिए हैं लेकिन एक साल बाद भी उन पर कोई काम शुरू नहीं कराया है।

जबकि कुछ जगह काम धीमी गति से होता पाया गया। इस पर सचिव ने असंतोष जताते हुए अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह समयबद्ध कार्ययोजना के अंतर्गत कार्य कराना सुनिश्चित करें। उन्होंने कुछ उद्यमियों से संवाद करके उनसे उनकी समस्याओं काे जाना। बाद में अमर उजाला से बातचीत में क्रियान्वयन सचिव ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता यह है कि पिछले दिनों देहरादून में संपन्न हुए इंवेस्टर समिट में जिन निवेशकों को उद्योग लगाने के लिए जगह दी जा रही है। 2027 तक उनकी फैक्टरी उत्पादन शुरू कर दें।

इसके लिए अभी से कार्य की गति निर्धारित करना बेहद जरूरी है। निरीक्षण के दौरान एसडीएम अभय प्रताप सिंह के अलावा उद्योग, सिडकुल व अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद रहे। सचिव दीपक कुमार ने हिमालय फूड पार्क में लगी कई फैक्टरी का निरीक्षण किया। यहां बनाए जा रहे विभिन्न ब्रांडों के पल्प की प्रगति देखकर उन्होंने संतोष जताया। दुबई में मौजूद उद्योगपति अशोक छाबड़ा से फोन पर बात की और सरकार से उन्हें और क्या मदद चाहिए इस पर भी चर्चा की।

काशीपुर। सचिव दीपक कुमार के निरीक्षण के दौरान इस बात का भी खुलासा हुआ कि कई राज्यों में सेब की सप्लाई करने वाले लगे फल आधारित उद्योग अपने यहां सेब जम्मू-कश्मीर व हिमाचल प्रदेश से मंगा रहे हैं। इसका कारण जानने पर जानकारी मिली कि यहां सेब खरीदना महंगा पड़ रहा है। इस पर सचिव ने उद्योगपतियों को सलाह दी कि वह कृषि मंत्री से संपर्क करें और सरकार के साथ करार करें ताकि अपने प्रदेश का ही फल यहां प्रयोग किया जा सके। इसके अलावा बिजली सहित अन्य मामलों से संबंधित समस्याएं भी उद्योगपतियों ने रखीं।

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