हिमालय में बड़ा भूकंप आया तो अछूते नहीं रहेंगे मैदानी इलाके

देहरादून। भूगर्भीय गतिविधियां हिमालयी क्षेत्र ही नहीं, पहाड़ों के साथ लगने वाले मैदानी इलाकों (पीडमोंट क्षेत्र) में भी सक्रिय हैं। भविष्य में यदि कोई बड़ा भूकंप आता है तो इसका असर ऐसे इलाकों में भी व्यापक रूप से देखने को मिलेगा। हिमालयी क्षेत्र के साथ सिंधु-गंगा के जलोढ़ मैदानी इलाकों में हरियाणा के पंचकुला, अंबाला और यमुनानगर, पंजाब के मोहाली जिले के कुछ हिस्से और चंडीगढ़ भी शामिल है।

वैज्ञानिक आरएस चटर्जी और आरसी पटेल की देखरेख में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से हर्ष कुमार, आईएसएम धनबाद से अभिषेक रावत ने यह अध्ययन किया है जो हाल ही में प्रतिष्ठित जर्नल जियोमैटिक, नेचुरल हैजर्ड्स एंड रिस्क में प्रकाशित हुआ है। आईआईआरएस का ताजा शोध हिमालय के दक्षिण में मैदानी तराई वाले इलाकों में सक्रिय टेक्टॉनिक विरूपण के बढ़ते क्षेत्र की पुष्टि करता है।

शोध में सामने आया कि सिंधु-गंगा के जलोढ़ मैदानों के पीडमोंट क्षेत्र टेक्टॉनिक रूप से सक्रिय हैं। इस अध्ययन में सेटेलाइट से प्राप्त उपग्रह चित्रों का अध्ययन किया गया। इसके माध्यम से नदियों के प्रवाह पैटर्न में अस्थायी परिवर्तनों का पता लगा।

इसके लिए घग्गर, यमुना की सहायक नदियों और शिवालिक से पीडमोंट क्षेत्र में बहने वाली मौसमी नदियों का अध्ययन किया गया। अध्ययन में सामने आया कि यह पीडमोंट क्षेत्र धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठ रहा है, जिसमें 10-12 किलोमीटर चौड़ा ऊपर की ओर उठा हुआ क्षेत्र हिमालयी क्षेत्र के समानांतर चल रहा है। इस क्षेत्र में कई नदियों ने अपना मार्ग बदल दिया है।

शोधार्थी हर्ष कुमार ने बताया कि पहले हुए शोधों में यह बात सामने आ चुकी है कि हिमालय का विरूपण क्षेत्र धीरे-धीरे दक्षिण की ओर खिसक रहा है। इसकी वजह है कि इंडियन प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने से लगातार घर्षण हो रहा है। इसीलिए इंडियन प्लेट हर साल पांच सेंटीमीटर प्रतिवर्ष की दर से यूरेशियन प्लेट के नीचे धंस रही है। हिमालय पर्वत शृंखला का निर्माण भारतीय महाद्वीप प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के परिणामस्वरूप हुआ है। हमारे शोध में सामने आया है कि सक्रिय विरूपण हिमालय के अग्रभाग में सिंधु-गंगा के जलोढ़ मैदानों के 10-25 किमी चौड़े पीडमोंट क्षेत्र तक फैल रही है।

शोध छात्र हर्ष कुमार ने बताया कि हमने उपग्रह डेटा का उपयोग करके सक्रिय टेक्टॉनिक विरूपण की भू-आकृति विज्ञान का दस्तावेजीकरण करने के लिए हरियाणा के उत्तर-पश्चिम हिमालय के अग्रवर्ती भागों में घग्गर और यमुना नदी घाटियों के बीच पीडमोंट क्षेत्र की जांच की। जियोफिजिकल ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) सर्वेक्षणों में इसकी पुष्टि हुई। जीपीआर एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो जमीन के भीतर कुछ मीटर से लेकर सैकड़ों मीटर की गहराई तक उप सतह के हाई रिजोल्यूशन ग्राफिक चित्र उपलब्ध कराता है। यह इस शोध का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके अलावा नदियों के प्रवाह पैटर्न में अस्थायी परिवर्तनों का पता लगाने और मानचित्रण करने के लिए विभिन्न ऑप्टिकल उपग्रह चित्रों का उपयोग किया गया।

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