प्रदेश में छह महीने में वन अपराध के 1557 मामले आए सामने
देहरादून। उत्तराखंड में बीते छह माह में वन अपराध के 1557 मामले सामने आए हैं। इनमें सर्वाधिक मामले अवैध पातन (जंगल से लकड़ियों की चोरी) के हैं। वन क्षेत्रों में होने वाले अवैध खनन की भी पोल खुली है। अवैध खनन के 357 मामलों में वन विभाग की ओर से चालान काटा गया है। इसके अलावा अवैध शिकार के 14 मामले भी दर्ज किए गए हैं।
अक्तूबर 2022 से मार्च 2023 तक के आंकड़ों पर गौर करें तो कुमाऊं मंडल में 948 मामले वन अपराध के दर्ज किए गए। इनमें सर्वाधिक 266 मामले अवैध पातन जबकि 206 अवैध खनन और चुगान के हैं। इसके अलावा 126 मामले ट्रांजिट नियम (बिना रवन्ना के लकड़ियों का परिगमन) के तहत दर्ज किए गए हैं। नैनीताल वन प्रभाग में पांच और चंपावत वन प्रभाग में अवैध शिकार का एक मामला दर्ज किया गया है। जबकि 344 मामले अन्य अपराधों में दर्ज किए गए। कुमाऊं में वन अपराध की सर्वाधिक 68 प्रतिशत घटनाएं पश्चिमी वृत्त के अंतर्गत घटित हुई हैं।
इसके अलावा गढ़वाल मंडल में वन अपराध के 478 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें सर्वाधिक 133 मामले अवैध खनन और चुगान के हैं। इसके अलावा 81 मामले अवैध पातन, 62 मामले ट्रांजिट नियम व 59 मामले वृक्ष संरक्षण अधिनियम के तहत दर्ज किए गए हैं। जबकि 143 मामले अन्य अपराधों में दर्ज हुए। गढ़वाल मंडल में वन अपराध के सबसे अधिक 47 प्रतिशत मामले अकेले शिवालिक वृत्त के अंतर्गत दर्ज किए गए हैं।
संरक्षित वन्यजीव क्षेत्रों में वन अपराध के 131 मामले दर्ज हुए हैं। इसमें सबसे अधिक 79 मामले अवैध पातन, 18 अवैध खनन व चुगान और 15 मामले अतिक्रमण के हैं। इसके अलावा आठ मामले अवैध शिकार के हैं। जबकि 11 मामले अन्य अपराधों में दर्ज किए गए। संरक्षित वन्यजीव क्षेत्रों में सर्वाधिक 35 प्रतिशत मामले राजाजी टाइगर रिजर्व के तहत दर्ज किए गए हैं।
वन अपराध से जुड़े इन मामलों का खुलासा वन सुरक्षा अनुश्रवण समिति की बैठक में हुआ है, जो होनी तो हर माह चाहिए, लेकिन इस बार पूरे छह माह बाद हुई है। वन अधिकारी इसकी वजह भी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।