क्या भारत बना दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता? केंद्र सरकार ने जारी किए आंकड़े

नई दिल्ली। बीते एक दशक में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल फोन निर्माण क्षेत्र में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माण देश बन चुका है। यह उपलब्धि ‘मेक इन इंडिया’ और प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) जैसी योजनाओं का परिणाम है।

मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, वित्त वर्ष 2014-15 में जहां इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 1.9 लाख करोड़ रुपये था, वह 2024-25 में बढ़कर 11.3 लाख करोड़ रुपये हो गया है। इसी अवधि में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 0.38 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यानी उत्पादन में छह गुना और निर्यात में आठ गुना वृद्धि हुई है।

मोबाइल निर्माण में बड़ी छलांग
मंत्री ने बताया कि 2014-15 में देश में केवल दो मोबाइल निर्माण इकाइयां थीं, जो अब बढ़कर करीब 300 हो चुकी हैं। भारत में बिकने वाले 99.2 प्रतिशत मोबाइल हैंडसेट अब ‘मेड इन इंडिया’ हैं। मोबाइल फोन उत्पादन 0.18 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जबकि निर्यात लगभग शून्य से बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

रोजगार और निवेश में भी बढ़ोतरी
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि बीते दशक में इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र से करीब 25 लाख रोजगार सृजित हुए हैं। बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए लागू PLI-LSEM योजना के तहत 13,475 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश आया है, जिससे 9.8 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है। पिछले पांच वर्षों में इस योजना के जरिए 1.3 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुई हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स अब भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात क्षेत्र बन गया है, जबकि पहले यह सातवें स्थान पर था।

कंपोनेंट और सेमीकंडक्टर निर्माण पर जोर
मंत्री ने जानकारी दी कि सरकार अब तैयार उत्पादों के साथ-साथ कंपोनेंट, सब-मॉड्यूल, कच्चे माल और मशीनों के निर्माण पर भी ध्यान दे रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के तहत 249 आवेदनों के माध्यम से 1.15 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं, जिनसे 10.34 लाख करोड़ रुपये का उत्पादन और 1.42 लाख रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

इसके अलावा अब तक 10 सेमीकंडक्टर इकाइयों को मंजूरी दी जा चुकी है, जिनमें से तीन में पायलट या प्रारंभिक उत्पादन शुरू हो चुका है। जल्द ही भारत की फैब और एटीएमपी इकाइयां मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं को चिप्स की आपूर्ति करेंगी।

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि वैश्विक कंपनियों का भरोसा बढ़ा है, भारतीय कंपनियां प्रतिस्पर्धी बनी हैं और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन हुआ है। यही ‘मेक इन इंडिया’ की वास्तविक सफलता की कहानी है।

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