विधायी प्रक्रिया में सावधानी और संवैधानिक संतुलन जरूरी
देहरादून । लोक भवन द्वारा लौटाए गए विधेयकों का दोबारा विधानसभा में आना यह दर्शाता है कि कानून निर्माण की प्रक्रिया में संवैधानिक और कानूनी सतर्कता कितनी आवश्यक है। समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक में तकनीकी त्रुटियों पर आपत्ति जताया जाना लोकतांत्रिक व्यवस्था में जाँच-पड़ताल की मजबूत व्यवस्था को दर्शाता है।
विधेयकों का विभागीय स्तर पर पुनः परीक्षण करना सरकार की जिम्मेदार और सुधारोन्मुख सोच को दर्शाता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कानून न केवल उद्देश्यपूर्ण हों, बल्कि कानूनी रूप से स्पष्ट और त्रुटिरहित भी हों। धर्मांतरण और यूसीसी जैसे संवेदनशील विषयों पर संतुलित, स्पष्ट और सुविचारित कानून ही समाज में विश्वास और स्थिरता बनाए रख सकते हैं

