सर्किल रेट में राहत, लंबी कवायद के बाद भूमिधरी का अधिकार मिलने की राह हुई आसान

देहरादून।
उत्तराखंड में लंबे समय से भूमिधरी के अधिकार का इंतजार कर रहे विस्थापित परिवारों के लिए बड़ी राहत की खबर है। राज्य कैबिनेट ने सितारगंज के कल्याणपुर क्षेत्र में भूमि पट्टे के नियमितीकरण के लिए वर्ष 2004 के सर्किल रेट को लागू करने को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से सौ से अधिक ऐसे परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा, जिन्हें 1970 के दशक में विस्थापन के बाद भूमि का पट्टा तो दिया गया था, लेकिन आज तक उन्हें भूमिधरी का अधिकार नहीं मिल पाया था।

सितारगंज के कल्याणपुर क्षेत्र में धारचूला और अल्मोड़ा मैग्नेसाइट से विस्थापित किए गए परिवारों को उस समय पुनर्वास के तहत भूमि आवंटित की गई थी। हालांकि, इस भूमि को नियमित कर भूमिधरी का अधिकार देने की प्रक्रिया वर्षों तक अधर में लटकी रही। लंबी प्रशासनिक कवायद के बाद जुलाई 2025 में नियमितीकरण के लिए सर्किल रेट वर्ष 2016 के आधार पर तय किया गया, जिससे लोगों की मुश्किलें और बढ़ गईं।

2016 के सर्किल रेट के अनुसार प्रति एकड़ भूमि के नियमितीकरण के लिए करीब 38 लाख रुपये की राशि जमा करनी थी। यह रकम अधिकांश विस्थापित परिवारों के लिए देना लगभग असंभव थी। इसी वजह से इस फैसले का व्यापक विरोध भी हुआ और सरकार के समक्ष मामला बार-बार उठाया गया। लोगों का कहना था कि जब भूमि उन्हें दशकों पहले दी गई थी, तो सर्किल रेट भी उसी अवधि के अनुरूप तय किया जाना चाहिए।

अब कैबिनेट द्वारा वर्ष 2004 के सर्किल रेट को मंजूरी दिए जाने के बाद स्थिति में बड़ा बदलाव आया है। अनुमान है कि इससे प्रति एकड़ देय राशि में आधे से अधिक की कमी आएगी, जिससे भूमिधरी का अधिकार हासिल करना इन परिवारों के लिए कहीं अधिक व्यावहारिक हो सकेगा। सरकार का मानना है कि इस फैसले से वर्षों से लंबित विवादों का समाधान होगा और विस्थापित परिवारों को स्थायी स्वामित्व का अधिकार मिल सकेगा।

कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि लोगों को राहत देने के लिए सरकार काफी समय से प्रयास कर रही थी। 2016 के सर्किल रेट के हिसाब से राशि देना आम लोगों के लिए बेहद कठिन था और सरकार ने उनकी व्यावहारिक परेशानी को समझते हुए यह फैसला लिया है। अब 2004 के सर्किल रेट के आधार पर नियमितीकरण होने से प्रभावित परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी और वे लंबे समय से लंबित भूमिधरी के अधिकार को प्राप्त कर सकेंगे।

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