बनभूलपुरा रेलवे भूमि अतिक्रमण मामला: सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली, अब 9 दिसंबर को होगी
हल्द्वानी (नैनीताल)।
बनभूलपुरा क्षेत्र में रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई टल गई। अब इस मामले की अगली तारीख 9 दिसंबर तय की गई है। मंगलवार को हल्द्वानी शहर खासकर बनभूलपुरा क्षेत्र में प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनज़र हाईअलर्ट घोषित किया था। बाहरी लोगों और वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाई गई और आईटीबीपी व सीआरपीएफ को भी चौकन्ना रहने के निर्देश दिए गए थे। दिनभर लोगों की निगाहें कोर्ट की सुनवाई पर टिकी रहीं, लेकिन शाम तक यह स्पष्ट हो गया कि कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी है।
रेलवे का कहना है कि हल्द्वानी में उसकी लगभग 29 एकड़ भूमि पर करीब 4365 अतिक्रमणकारी काबिज हैं। यह मामला लगभग दो दशकों से चला आ रहा है और कई बार कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश जारी किए, लेकिन जमीनी स्तर पर बड़ी कार्रवाई आज तक नहीं हो सकी। वर्ष 2007 में हाईकोर्ट ने पहली बार अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया था, जिसके तहत 2400 वर्गमीटर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया। लेकिन उचित हदबंदी न होने के कारण कुछ वर्षों बाद फिर से यहां कब्जे हो गए।
जनहित याचिकाकर्ता रविशंकर जोशी बताते हैं कि 2013 में गौला नदी में अवैध खनन संबंधी याचिका की सुनवाई के दौरान यह मामला फिर उभरकर सामने आया। 2016 में हाईकोर्ट ने रेलवे को दस सप्ताह के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया। इसके बाद अतिक्रमणकारियों व प्रदेश सरकार द्वारा भूमि को नजूल बताने का प्रयास किया गया, जिसे कोर्ट ने जनवरी 2017 में खारिज कर दिया।
इसके बाद कई विशेष अनुमति याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुईं। कोर्ट ने फरवरी 2017 तक प्रभावित व्यक्तियों को अपने दावे हाईकोर्ट में रखने के निर्देश दिए। रेलवे को अप्राधिकृत अधिभोगियों की बेदखली अधिनियम 1971 के तहत कार्रवाई का आदेश भी दिया गया, लेकिन महत्वपूर्ण प्रगति नहीं हुई।
मार्च 2022 में जोशी ने हाईकोर्ट में फिर याचिका दायर कर कहा कि रेलवे अपनी भूमि से अतिक्रमण हटाने में असफल साबित हुआ है। मई 2022 में कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब मांगा, लेकिन अतिक्रमणकारी अपनी वैधता साबित नहीं कर सके। दिसंबर 2022 में कोर्ट ने एक सप्ताह में नोटिस देकर अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए, जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।
आज की सुनवाई में किसी प्रकार का निर्णय नहीं हो सका और मामला अब 9 दिसंबर को फिर से सुना जाएगा। हल्द्वानी में प्रशासन ने सुरक्षा इंतज़ाम फिलहाल बरकरार रखने का निर्णय लिया है।

