बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में सीजन की पहली बर्फबारी, सफेद चादर में लिपटे धाम, बढ़ी कड़ाके की ठंड

बदरीनाथ (चमोली)। उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में मौसम ने एक बार फिर करवट ले ली है। देर रात से बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में सीजन की पहली बर्फबारी शुरू हो गई, जिससे पूरे क्षेत्र ने एक बार फिर सर्दियों की ठिठुरन महसूस की। बर्फबारी के बाद दोनों ही धाम सफेद चादर में ढक गए हैं और चारों ओर का नजारा अत्यंत मनमोहक और दिव्य हो गया है।

मंगलवार की रात मौसम में आए इस अचानक बदलाव ने तीर्थनगरी बदरीनाथ धाम को पूरी तरह बर्फ से ढक दिया। मंदिर परिसर, पैदल मार्ग और आसपास की पर्वत चोटियां सफेद बर्फ से लद गईं। बर्फबारी के कारण तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है, जिससे धाम क्षेत्र में ठंड का असर काफी बढ़ गया है। वहीं, केदारनाथ धाम में भी देर रात शुरू हुई बर्फबारी ने पूरे क्षेत्र को सर्द हवाओं से भर दिया और धाम फिर से बर्फ की चादर में लिपट गया।

यह बर्फबारी 23 अक्टूबर को कपाट बंद होने के बाद पहली बार हुई है। बर्फ से ढकी केदारपुरी की झलक ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बर्फ से आच्छादित मंदिर और पर्वत शिखरों ने पूरे वातावरण को अलौकिक बना दिया।

मौसम विभाग के अनुसार, मंगलवार को हुई इस बर्फबारी के साथ ही उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों—उत्तरकाशी, चमोली, बागेश्वर, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़—के कुछ इलाकों में हल्की बारिश भी दर्ज की गई। चार हजार मीटर से अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अगले 24 घंटों तक बर्फबारी जारी रहने की संभावना जताई गई है।

मौसम विज्ञान केंद्र ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में बारिश और बर्फबारी से शीतलहर का प्रभाव बढ़ सकता है, विशेषकर सुबह और शाम के समय तापमान में तीव्र गिरावट रहेगी। हालांकि सात से दस नवंबर तक प्रदेश में मौसम शुष्क रहने की संभावना है।

दूसरी ओर, मैदानी इलाकों—विशेष रूप से देहरादून और हरिद्वार—में मंगलवार को हल्की ठंडी हवाएं चलने से लोगों ने सर्दी का एहसास किया। दून में दिन का अधिकतम तापमान 28.9 डिग्री और न्यूनतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि पहाड़ी जिलों में तापमान सामान्य से एक डिग्री कम रहा।

बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में हुई इस बर्फबारी ने जहां ठंड का असर बढ़ा दिया है, वहीं हिमालयी सौंदर्य की छटा ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित कर दिया है। बर्फ से ढके पर्वतों के बीच बसा यह दिव्य दृश्य आस्था और प्रकृति के अद्भुत संगम का प्रतीक बन गया है।

 

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