बिना बारिश के ही पागलनाला में आया मलबा, ढाई घंटे बंद रहा बदरीनाथ हाईवे

जोशीमठ। बदरीनाथ हाईवे पर पागलनाला में बुधवार को बिना बारिश के ही मलबा आ गया। जेसीबी की मदद से हाईवे खोला गया लेकिन मलबे में वाहन फिसलने लगे। ऐसे में यहां हाईवे सुचारु करने में करीब ढाई घंटे बाद लग गए। तीर्थयात्रियों ने वाहनों में बैठकर हाईवे खुलने का इंतजार किया। इस दौरान दोनों ओर वाहनों की लाइन लगी रही। यहां स्थिति यह है कि हाईवे किनारे टनों मलबा और बोल्डर अटके हुए हैं।

बुधवार को बिना बारिश के ही बदरीनाथ हाईवे पर अपराह्न तीन बजे पागलनाला में पहाड़ी से मलबा आ गिरा और वाहनों की आवाजाही थम गई। देखते ही देखते हाईवे के दोनों ओर वाहनों का जाम लग गया। हाईवे बंद होने पर मौके पर खड़ी दो जेसीबी मलबा हटाने में जुट गईं। हाईवे खोला गया और जब वाहनों की आवाजाही शुरू हुई तो मलबे में वाहनों के टायर फिसलने लगे।

बाद में नाले पर पत्थरों का भरान किया गया और शाम करीब साढ़े पांच बजे वाहनों की आवाजाही सुचारु हो पाई। हालांकि अभी यहां एक वाहन गुजरने में करीब पंद्रह मिनट का समय लग रहा है। पूर्व ग्राम प्रधान सुरेंद्र सिंह रावत ने कहा कि पागलनाला का स्थायी उपचार बेहद जरूरी है। जाम लगने पर तीर्थयात्रियों ने वाहनों में बैठकर ही हाईवे खुलने का इंतजार किया।

बदरीनाथ हाईवे पर मैठाणा में आरजे बिल्डवेल कंपनी की ओर से अलकनंदा साइड से भू-धंसाव की रोकथाम के लिए काम शुरू कर दिया गया। यहां कंपनी की ओर से हाईवे पर 50 से अधिक ट्रकों से मिट्टी का भरान किया गया इसके बावजूद जमीन धंस रही है। भू-धंसाव पुरसाड़ी-पलेठी सड़क तक पहुंच गया है। यहां पलेठी गांव के करीब 20 परिवारों को भी खतरा बना हुआ है।

मैठाणा में वर्ष 2013 में भू-धंसाव शुरू हुआ था। आरजी बिल्डवेल कंपनी की ओर से यहां करोड़ों रुपये खर्च कर ट्रीटमेंट कार्य किया गया लेकिन इस बरसात में यहां फिर से भू-धंसाव सक्रिय हो गया है। यहां ड्रेनेज के लिए बनाई नाली भी तहस-नहस हो गई है। एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास) की ओर से यहां टनों मिट्टी का भरान किया गया लेकिन भू-धंसाव लगातार जारी है। अब आरजी बिल्डवेल कंपनी की ओर से नदी साइड से तार की जाली के साथ पत्थरों के दीवार का निर्माण शुरू कर दिया गया है। एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों ने बताया कि इससे कुछ हद तक भू-धंसाव थम जाएगा।

दूसरी ओर भू-धंसाव से पलेठी गांव के करीब 20 मकान भी खतरे की जद में आ गए हैं। ग्रामीण सुरेंद्र लाल, मनोज लाल, बिज्जू लाल आदि ने बताया कि उनके मकानों पर दरारें पड़ गई हैं। मकानों को खतरा बना हुआ है।

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