बेटियों को पढ़ाने के लिए नहीं हैं शिक्षक, दम तोड़ रहा है बेटी पढ़ाओ अभियान
अल्मोड़ा। जिले में बेटी पढ़ाओ अभियान दम तोड़ रहा है। जिले में बेटियों के लिए संचालित 21 जीजीआईसी में शिक्षिकाओं के 117 पद लंबे समय से रिक्त हैं। शिक्षिकाएं न होने से इन विद्यालयों में पढ़ने वाली 10 हजार से अधिक बेटियों का भविष्य संकट में हैं। अभिभावक काफी समय से शिक्षिकाओं के रिक्त पदों को भरने की मांग कर रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हुई।
बेटियों को बेहतर शिक्षा देकर उन्हें सफल और आत्मनिर्भर बनाने के दावों के बीच उन्हें पढ़ाने के लिए विद्यालयों में शिक्षिकाएं ही नहीं हैं। जिले में बेटियों के लिए खोले गए विद्यालय इसकी बानगी हैं। जिले में 21 जीजीआईसी संचालित हैं जिनमें 10 हजार से अधिक बेटियां अध्ययनरत हैं।
इन विद्यालयों में प्रवक्ताओं के 193 और एलटी संवर्ग में शिक्षिकाओं के 289 पद सृजित हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इनमें प्रवक्ताओं के 68 और एलटी संवर्ग में शिक्षिकाओं के 49 पद सालों से रिक्त हैं। ऐसे में बेटियां बगैर शिक्षकों के पढ़ने के लिए मजबूर हैं और उनके भविष्य को लेकर अभिभावक चिंतित हैं।
इन विषयों के प्रवक्ता के पद हैं रिक्त
राजनीति विज्ञान के आठ, अर्थशास्त्र, अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान, संस्कृत के आठ-आठ, रसायन विज्ञान के नौ, , जीव विज्ञान के छह, हिंदी के चार, भूगोल के तीन, समाजशास्त्र, इतिहास के दो-दो, गृह विज्ञान का एक, गणित विषय में प्रवक्ता का एक पद रिक्त है।
21 में से सिर्फ पांच विद्यालयों में हैं प्रधानाचार्य
अल्मोड़ा। विद्यालयों में प्रधानाचार्यों का भी टोटा बना है। आलम यह है कि सिर्फ पांच विद्यालयों में ही प्रधानाचार्य तैनात हैं। सोमेश्वर, रानीखेत, ताड़ीखेत, द्वाराहाट, स्याल्दे, भरसोली, देवायल, बाड़ेछीना, दन्या, जयंती, जलना, बग्वालीपोखर, उभ्याड़ी, पारकोट, मासी, भिकियासैंण जीजीआईसी में प्रधानाचार्या के पद रिक्त हैं।
जीजीआईसी में शिक्षिकाओं के रिक्त पदों की सूचना निदेशालय को भेजी गई है। शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति शासन स्तर से की जाती है।
– हेमलता भट्ट, मुख्य शिक्षाधिकारी, अल्मोड़ा।