बिजली प्रोजेक्ट लगाने होंगे महंगे, दाम भी बढ़ेंगे, आयोग ने जारी किया ड्राफ्ट

देहरादून। प्रदेश में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोजेक्ट लगाने महंगे होंगे, जिससे इनसे मिलने वाली बिजली भी महंगी होगी। उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग इसके लिए नवीकरण ऊर्जा स्त्रोतों और गैर जीवाश्म ईंधन आधारित सह उत्पादक स्टेशनों से बिजली आपूर्ति हेतु शल्क एवं अन्य निबंधन विनियम 2023 लाने जा रहा है। इसका ड्राफ्ट जारी करते हुए आयोग ने 13 जून को जनसुनवाई तय की है।

दरअसल, प्रदेश में अभी तक जो अधिनियम लागू था, उसकी मियाद 2018 से 2023 तक थी। इस बीच ऊर्जा क्षेत्र में कई बदलाव आए हैं। इन बदलावों को स्वीकार करते हुए नियामक आयोग ने नए अधिनियम का ड्राफ्ट जारी किया है। यह अगले पांच साल के लिए लागू होगा। इसके तहत सभी तरह के पावर प्रोजेक्टों की पूंजीगत लागत बढ़ाने का प्रस्ताव किया है।

पूंजीगत लागत बढ़ने से इन प्रोजेक्ट से जो बिजली पैदा होगी, उसका टैरिफ भी बढ़ जाएगा। जिससे उपभोक्ताओं को महंगी बिजली मिलेगी। आयोग का कहना है कि चूंकि पांच साल में पावर प्रोजेक्ट निर्माण से जुड़ी सभी सामग्रियां महंगी हो गई हैं। इस वजह से पूंजीगत लागत बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।

नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों से पैदा होने वाली बिजली के लिए उपभोक्ता सीधे यूपीसीएल से ग्रीन एनर्जी की मांग कर सकेंगे। पर्यावरण संरक्षण के तहत ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए आयोग ने ये प्रावधान किए हैं। इसके तहत इंडस्ट्री मालिक, होटल मालिक जैसे अधिक बिजली खपत वाले उपभोक्ता यूपीसीएल से 25 से 100 प्रतिशत तक ग्रीन एनर्जी की मांग कर सकते हैं। यूपीसीएल को सभी माध्यमों से ये बिजली उपलब्ध करानी होगी।

आयोग ने वायु ऊर्जा प्रोजेक्ट, हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से हर साल यूपीसीएल के लिए निश्चित प्रतिशत में बिजली खरीद की अनिवार्यता की है। 2023-24 में हाइड्रो से कुल बिजली खपत का 0.66 प्रतिशत, अगले साल 1.08, 2025-26 में 1.80 प्रतिशत बिजली यूपीसीएल को खरीदनी होगी। इसी प्रकार, विंड एनर्जी से भी बिजली खरीद के लिए प्रतिशत तय किया गया है। वहीं, अन्य माध्यमों जैसे गैस आधारित या कोयला आधारित पावर प्रोजेक्ट से बिजली खरीद की भी प्रतिशत तय की गई है।

पूर्व का अधिनियम 2018 से 2023 तक था। अब नए प्रावधानों के साथ अधिनियम का ड्राफ्ट जारी किया है, जिस पर दो जून तक सुझाव ई-मेल या डाक के माध्यम से भेज सकते हैं। 13 जून को सुबह 11 बजे आयोग कार्यालय में जनसुनवाई होगी। इसके बाद अधिनियम की अधिसूचना जारी होगी। -नीरज सती, सचिव, उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग

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