अतीक अहमद के माफियागिरी के 44 साल हुये 44 सेकेण्ड में समाप्त
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से राज्य के कई शहरों में जिस आतंक और दहशत को कायम करने में माफिया अतीक अहमद ने 44 साल लगाए उसे यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने महज 48 दिनों में खत्म कर दिया। अतीक और उसके करीबियों के काले कारोबार के साम्राज्य को ध्वस्त करने में अब योगी सरकार को प्रवर्तन निदेशालय का भी साथ मिल रहा है।
हम आपको बता दें कि अतीक अहमद पर पहला आपराधिक मामला 1979 में प्रयागराज के खुल्दाबाद पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। तब से 44 साल के उसके आपराधिक सफर में उस पर 102 केस दर्ज हुए लेकिन किसी भी मामले में कोई सरकार उसे सजा नहीं दिलवा पाई। योगी राज में पहली बार यह संभव हुआ जब पूर्व बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह अधिवक्ता उमेश पाल के अपहरण के मामले में एमपी-एमएलए की कोर्ट ने अतीक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इधर 24 फरवरी 2023 को उमेश पाल की हत्या से कानून व्यवस्था को नाकाम चुनौती देने के अतीक और उसके गुर्गों के दुस्साहस के बाद यूपी के सीएम योगी के माफिया को मिट्टी में मिलाने के संकल्प ने अतीक के जुर्म और जरायम के साम्राज्य तहस नहस कर दिया गया। अतीक के बेटे असद सहित उसके 4 गुर्गों को पुलिस ने एनकाउंटर में ढेर कर दिया। अपराध से अर्जित की गई उसकी और उसके गुर्गों की 1400 करोड़ की सम्पत्ति जब्त की जा चुकी। इसे अतीक के आतंक के अंत माना जा रहा है।
हम आपको बता दें कि एक तरफ माफिया को मिट्टी में मिलाने का सिलसिला जारी है तो दूसरी तरफ आर्थिक अपराध से जुड़ी जांच एजेंसियां भी अतीक के आर्थिक साम्राज्य को चोट पहुँचाने में लग गई हैं। अतीक अहमद पर दर्ज मनी लांड्रिंग केस की जांच में जुटी प्रवर्तन निदेशालय की 15 टीमों ने प्रयागराज में अतीक के करीबियों के कई ठिकानों पर जमकर छापेमारी की है। इसमें अतीक अहमद के वकील खान शौलत हनीफ, अतीक के अकाउंटेंट सीताराम शुक्ला, रियल एस्टेट कारोबारी खालिद ज़फर, बसपा के पूर्व विधायक आसिफ जाफरी, बिल्डर संजीव अग्रवाल, कार शोरूम मालिक दीपक भार्गव के नाम शामिल हैं। इस कार्यवाही में 100 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्तियों का भी खुलासा हुआ है। वैसे अतीक पर दो साल पहले 2021 में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था और इस मामले में उसकी 8 करोड़ की संपत्ति जब्त की गई थी।
हम आपको यह भी बता दें कि प्रयागराज शहर में अतीक अहमद के करीबियों के ठिकानों पर की गई कार्रवाई में प्रवर्तन निदेशालय को मनी लांड्रिंग केस में बेहद अहम सबूत मिले हैं जिससे उसके काले कारोबार के नेटवर्क का बड़ा खुलासा हुआ है। ईडी की छापे की कार्रवाई के दौरान बरामद दस्तावेजों से 50 से अधिक ऐसी शैल कंपनियों का भी पता चला है जो डमी कंपनियां हैं जिनका मालिक दस्तावेजों में तो कोई और है, लेकिन इनमें रकम अतीक ने निवेश की थी। इनके जरिये अतीक अपनी ब्लैक मनी को व्हाइट में तब्दील करता था। इन कम्पनियों में एमजे इन्फ्रा ग्रीन प्राइवेट लिमिटेड, मैसर्स जाफरी स्टेट लिमिटेड, फना एसोसिएटेड प्राइवेट लिमिटेड, एमजे इन्फ्रा हाउसिंग प्राइवेट लिमिटेड, एफ एंड ए एसोसिएट प्राइवेट लिमिटेड, असाद सिटी, एमजे इन्फ्रा स्टेट प्राइवेट लिमिटेड और एमजे इन्फ्रा लैंड, एलएलपी जैसी कम्पनियां शामिल हैं। इनमें से अधिकतर वह कंपनियां हैं, जिनके बारे में जिला पुलिस ने पहले ही शासन को पत्र भेजकर इनकी जांच प्रवर्तन निदेशालय से कराने का अनुरोध किया था।
दूसरी ओर, गैंगस्टर से नेता बना अतीक अहमद अपने बेटे असद अहमद का शव भी नहीं देख पाया। शनिवार सुबह कसारी मसारी कब्रिस्तान में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच दफनाया गया। कब्रिस्तान में अतीक अहमद के रिश्तेदारों और परिचितों को ही दाखिल होने दिया गया और मीडियाकर्मियों को भीतर जाने की अनुमति नहीं दी गई। असद का शव लेकर एंबुलेंस भारी सुरक्षा के बीच सुबह करीब नौ बजे कब्रिस्तान पहुंची। एंबुलेंस में शव के साथ असद का फूफा उस्मान था। कसारी मसारी कब्रिस्तान में शव को दफनाने की प्रक्रिया करीब एक घंटे चली। इस दौरान अतीक अहमद और उसके परिवार का कोई करीबी सदस्य नजर नहीं आया। कब्रिस्तान के चारों तरफ भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी।
संयुक्त पुलिस आयुक्त आकाश कुलहरी ने बताया कि अतीक के दूर के कुछ रिश्तेदारों और उसके मोहल्ले के लोगों को ही कब्रिस्तान में जाने दिया गया। अतीक अहमद ने अपने बेटे के जनाजे में शामिल होने के लिए शुक्रवार को अपने वकील के माध्यम से मजिस्ट्रेट के पास एक प्रार्थना पत्र दिया था जिस पर शनिवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में निर्णय लिया जाना था, लेकिन अदालती कार्यवाही से पहले ही शव को दफनाने की प्रक्रिया पूरी हो गई। हम आपको बता दें कि असद, अतीक अहमद के पांच बेटों में तीसरे नंबर का बेटा था और उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही फरार था। अतीक का सबसे बड़ा बेटा उमर लखनऊ जेल में निरुद्ध है, जबकि उसका उमर से छोटा बेटा अली नैनी सेंट्रल जेल में निरुद्ध है। वहीं चौथे नंबर का बेटा अहजम और सबसे छोटा बेटा अबान प्रयागराज के बाल सुधार गृह में हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि उमेश पाल हत्याकांड में अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और उसके भाई अशरफ अहमद की पत्नी जैनब भी फरार है इसलिए असद के अंतिम संस्कार में अतीक के परिवार का कोई सदस्य शामिल नहीं हो पाया। कसारी मसारी कब्रिस्तान में असद की कब्र खोदने वाले जानू खान ने बताया कि अतीक अहमद की मां और उसके पिता की कब्र के पास असद की कब्र खोदी गई है।