उत्तराखंड में एआई नीति से डिजिटल बदलाव की तैयारी
देहरादून । उत्तराखंड ने अपनी पहली एआई नीति का ड्राफ्ट जारी किया है, जिसका उद्देश्य गांव-गांव तक डिजिटल बदलाव लाना है। नीति के सात प्रमुख लक्ष्य शिक्षा, स्वास्थ्य, जलवायु, आपदा प्रबंधन, पर्यटन, कृषि और शहरी विकास से जुड़े हैं। सरकार ने इस मिशन को लागू करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर, डेटा, कंप्यूटिंग, एआई एप्लिकेशन और साफ ऊर्जा पर विशेष ध्यान दिया है।
नीति के तहत टेलीमेडिसिन और ई-लर्निंग जैसी योजनाओं में एआई जोड़ा जाएगा और दूरस्थ क्षेत्रों, बुजुर्गों और कमजोर समुदायों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी। भारत एआई, हिमालयी राज्य, निजी कंपनियों और शोध संस्थानों के साथ मिलकर समाधान तैयार किए जाएंगे। युवाओं के लिए एआई स्किलिंग, रोजगार और स्टार्टअप अवसर बढ़ाए जाएंगे। एआई सिस्टम पारदर्शी, सुरक्षित और जवाबदेह होंगे।
2030 तक इंटरनेट की पहुंच 78% से 100% और डिजिटल साक्षरता 40% से 80% तक बढ़ाने का लक्ष्य है। स्मार्टफोन उपयोग बढ़ाकर 90% किया जाएगा। सभी ग्राम पंचायतों तक भारतनेट पहुंचेगा और पहाड़ों में नेटवर्क विस्तार होगा। कंप्यूटिंग क्षमता 775 टीएफएलओपीएस से बढ़ाकर 2047 तक 7500 टीएफएलओपीएस, और डेटा सेंटर क्षमता 5 एमडल्ब्यू से बढ़ाकर 45 एमडल्ब्यू की जाएगी। प्रदेश में तीन से सात एआई इनोवेशन सेंटर और 15 से 30 एआई इंक्यूबेशन सेंटर स्थापित होंगे।
जलवायु और आपदा प्रबंधन में एआई से भूस्खलन, फ्लैश फ्लड और ग्लेशियल लेक फटने जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान संभव होगा। सैटेलाइट और ड्रोन से मिली तस्वीरों का विश्लेषण करके राहत कार्य तेजी से किए जाएंगे। पुल, सड़क और बांधों की निगरानी के लिए एआई सेंसर काम करेंगे, और आपदा के समय चैटबॉट कई भाषाओं में अपडेट देगा। इसके अलावा, ग्लेशियर पिघलने और मौसम बदलाव का विश्लेषण कर भविष्य की योजना बनाई जाएगी। एआई कार्बन कैप्चर, जंगलों के संरक्षण और मानव-वन्यजीव संघर्ष कम करने में भी मदद करेगा।

