महिला सब इंस्पेक्टर हत्याकांड: फर्जी आईडी से लिए सिम से सिर्फ मोनिका के परिवार को करता था फोन
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की पूर्व सिपाही और यूपी पुलिस की सब इंस्पेक्टर (एसआई) मोनिका यादव की हत्या के राज छिपाने के लिए मुख्य आरोपी दिल्ली पुलिस के सिपाही सुरेंद्र सिंह राणा ने कई तरीके अपनाए। उसने मोनिका के परिजनों को गुमराह करने के लिए जो सिम और मोबाइल लिया था उससे सिर्फ मोनिका के परिजनों को ही फोन किया जाता था।
इसके अलावा सुरेंद्र और रोबिन उस मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते थे। मुख्य आरोपी सुरेंद्र, साथी रोबिन को पंजाब और हरियाणा में कई जगह भेजकर मोनिका के परिजनों को फोन करवाता था। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने आरोपी सुरेंद्र को तीन दिन के लिए फिर से रिमांड पर लिया है।
अपराध शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि रोबिन से फोन करवाने के बाद सुरेंद्र मोबाइल को कब्जे में ले लेता था। वह मोबाइल बंद कर अलमारी में रख देता था। जब इसे फोन कराना होता था तो वह फिर रोबिन को मोबाइल दे देता था। रोबिन ने इस मोबाइल से मोनिका के परिजनों को पांच-छह फोन किए थे।
इसके लिए रोबिन पंजाब व हरियाणा में कई जगह गया था। अपराध शाखा के पुलिस उपायुक्त संजय भाटिया के नेतृत्व में एसीपी रविंद्र राजपूत व इंस्पेक्टर राजीव कक्कड़ की टीम इन जगहों पर जाकर आरोपी से उनकी पहचान करवा रही है। इस मोबाइल नंबर को लेने के लिए सुरेंद्र ने फर्जी आधार कार्ड कहीं से लाकर दिया था।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अभी मोनिका का फोन बरामद नहीं किया गया है। आरोपी का कहना है कि उसने मोनिका का मोबाइल जला दिया। कभी कहता है कि उसने फोन नहर में फेंक दिया। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि पांच दिन का पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद उसे बुधवार को कोर्ट में पेश किया।
अपराध शाखा ने यह कहते हुए कि मोनिका का मोबाइल बरामद करना है, फिर से रिमांड मांगा। अदालत ने सुरेंद्र को फिर तीन दिन के रिमांड पर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया। आरोपी रोबिन यह दिखाना चाहता था कि मोनिका उसके पास है। वह एक बार फोन करने हरियाणा गया था। साथ में नरेला से वेश्यावृति करने वाली महिला को भी साथ ले गया। उसने महिला को साथ चलने के 2000 रुपये दिए थे। वह फोन करने तो पांच-छह जगह गया था, मगर महिला को वह एक ही जगह लेकर गया।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सुरेंद्र के पास मोनिका की एक ही रिकॉर्डिंग थी। यह रिकॉर्डिग उसने मोनिका से बात करते हुए की थी। वह रिकार्डिंग में मोनिका को समझा रहा है और कह रहा है कि अपने घर चली जाए। रिकार्डिंग को उसने एडिट किया हुआ था। वह रोबिन के जरिये परिजनों को मोनिका की आवाज सुना देता था। इससे परिजनों को लगता था कि मोनिका जिंदा है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कुछ महीनों बाद मोनिका के परिजन सुरेंद्र पर संदेह करने लग गए थे। परिजन उससे मोनिका के बारे में पूछने लगे थे। वह कहता था कि उसकी मोनिका से बात हो गई है। वह ठीक है। सुरेंद्र ने कुछ नहीं बताया तो परिजन मुखर्जी नगर थाने में गए थे, मगर पुलिस ने जांच के नाम पर कुछ नहीं किया।
कोरोना काल में मोनिका दिल्ली छोड़कर बुलंदशहर के कोटा गांव चली गई थी। कोरोना काल के बाद मोनिका ने फोन कर बताया कि वह यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली जाना चाहती है। इसके बाद वह दो सितंबर को दिल्ली आ गई। इसके बाद आठ सितंबर को मोनिका की हत्या कर दी।