श्वेत चंदन की खेती पर वन विभाग की आपत्ति
रुद्रपुर। तराई में खेती के लिए 115 किसानों को श्वेत चंदन के पौधे बांटने पर वन विभाग ने आपत्ति लगा दी है। इस आधार पर शासन ने भेषज विकास इकाई के प्रस्ताव को निरस्त कर दिया। इन किसानों को भेषज विभाग की ओर से श्वेत चंदन के 3550 पौधे निशुल्क बांटे जाने थे। अब 47 किसानों को सर्पगंधा के तीन लाख पौधे बांटे गए।
भेषज विकास इकाई ने बाजपुर, काशीपुर, दिनेशपुर के इच्छुक किसानों से चंदन के पौधे लगाने के आवेदन मांगे थे। तीन ब्लॉक के 115 किसानों ने चंदन की खेती के लिए आवेदन भी किए थे। भेषज विकास इकाई ने बरसात में किसानों को चंदन के पौधे बांटने की तैयारी की लेकिन वन विभाग की आपत्ति के कारण शासन ने जिले में चंदन के पौधे नहीं भेजे।
भेषज विकास इकाई के जिला समन्वयक एसके वाजपेयी ने बताया कि जिले में कई किसानों ने व्यक्तिगत तौर पर भी चंदन के पौधे लगाए हैं। इस बार 47 किसानों को सर्पगंधा के तीन लाख औषधीय पौधे बांटे गए हैं।
जड़ 700 रुपये किलो तो 5,000 रुपये किलो मिलता है सर्पगंधा का बीज
रुद्रपुर। भेषज विकास इकाई ने दिनेशपुर के चंदननगर, जघनपुरी, बुक्सरा गांव के 47 किसानों को सर्पगंधा के पौधे बांटे हैं। भेषज इकाई के जिला समन्वयक वाजपेयी ने बताया कि सर्पगंधा से कई प्रकार की दवाएं बनाईं जाती हैं। इसका इस्तेमाल उच्च रक्तचाप और मानसिक तनाव कम करने समेत कई प्रकार की दवा बनाने में किया जाता है।
सांप और बिच्छु के काटने पर भी इससे इलाज होता है। बताया कि सर्पगंधा 18 माह में तैयार होता है। इसकी जड़ें 700 रुपये प्रति किलो तो बीज 5,000 रुपये किलो का बिकते हैं।