यूकेएसएसएससी पेपर लीक: सीबीआई कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की जमानत खारिज
देहरादून:
यूकेएसएसएससी पेपर लीक प्रकरण में सीबीआई की जांच लगातार आगे बढ़ रही है और इसी क्रम में शनिवार को सीबीआई कोर्ट ने असिस्टेंट प्रोफेसर सुमन की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि उपलब्ध साक्ष्य पेपर लीक में उनकी प्रत्यक्ष और सक्रिय भूमिका को दर्शाते हैं। जांच एजेंसी ने जो डिजिटल चैट, कॉल रिकॉर्ड्स और संदेश कोर्ट के सामने प्रस्तुत किए, वे इस मामले में सुमन की संलिप्तता की पुष्टि करते हैं और यही कारण रहा कि कोर्ट ने उन्हें राहत देने से साफ इंकार कर दिया।
मामले में सामने आया कि परीक्षा से ठीक पहले सुबह 7:55 पर खालिद नामक व्यक्ति ने सुमन को संदेश भेजकर कहा था—“मैडम थोड़ा टाइम निकाल लो, सिस्टर का एग्जाम है। MCQ सॉल्व कर देना प्लीज।” इस पर 8:02 बजे सुमन ने ‘ओके’ लिखकर जवाब दिया। सीबीआई का दावा है कि यह संक्षिप्त चैट अपने आप में पेपर लीक की गंभीरता को साबित करती है, क्योंकि जांच में यह स्पष्ट हुआ कि सुमन ने इसी संवाद के बाद पेपर साझा किया था। एजेंसी ने यह भी बताया कि खालिद और सुमन के बीच यह संवाद केवल औपचारिक नहीं था, बल्कि पेपर लीक की साजिश का महत्वपूर्ण हिस्सा था।
सीबीआई कोर्ट ने इस बातचीत सहित अन्य डिजिटल साक्ष्यों पर विचार करते हुए पाया कि सुमन के पास पेपर भेजे जाने के पर्याप्त प्रमाण मौजूद हैं। इसके अलावा यह भी स्पष्ट हुआ कि पेपर लीक का एक और बड़ा कड़ी बेरोजगार संघ के नेता बॉबी पंवार से जुड़ती है। सीबीआई ने कुछ दिन पहले बॉबी पंवार से करीब नौ घंटे लंबी पूछताछ की, जिसमें उनसे सुमन चौहान से उनके संपर्कों, बातचीत, मुलाकातों और पेपर साझा किए जाने से जुड़ी जानकारी हासिल की गई। जांच में यह भी सामने आया कि सुमन ने ही बॉबी पंवार को पेपर उपलब्ध कराया था, जिसके आधार पर पंवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर परीक्षा का पेपर लीक होने का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि 28 नवंबर को सीबीआई ने सुमन चौहान को गिरफ्तार किया था और तभी से उनकी भूमिका संदिग्ध के बजाय मुख्य आरोपी के रूप में उभरती चली गई। कोर्ट में पेश किए गए तथ्यों और अब तक की जांच की दिशा को देखते हुए न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इतनी गंभीरता वाले मामले में रिहाई का कोई आधार नहीं बनता। अदालत के इस फैसले ने पेपर लीक के आरोपियों पर शिकंजा और कस दिया है और आगामी दिनों में सीबीआई द्वारा और गिरफ्तारी या चार्जशीट पेश किए जाने की संभावना बेहद प्रबल मानी जा रही है।
पेपर लीक मामले ने राज्य की भर्ती प्रणाली, पारदर्शिता और सरकारी परीक्षाओं पर लोगों के भरोसे को गहराई से प्रभावित किया है। इस फैसले से युवाओं में यह उम्मीद जगी है कि दोषियों को कठोर कानूनी सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी।

